प्रवासन और ग्रामीण विकास
' ग्रामीण भारत - कैसे पर्यटन का लाभ उठा सकता है '
ग्रामीण पर्यटनके कई आयाम इको टूरिजम , रीच हेरिटेज , फ़्लोरा फौना ,रिच कल्चर ,ग्रामीण हस्तकला , नैसर्गिक जीवन , पानी के स्थल नदी - तालाब , पहाड़ ,जंगल ,समंदर ,रण ग्रामिक पारम्परिक स्वाद पूर्ण खानपान , पौराणिक स्थल , वाव , कुवे ,विस्तार प्रदेश के पारम्परिक घर , कॉटेज , विरासते, अलिप्त हो रहे वृक्ष, आदि ज्यादातर गाओ में - या उसके आसपास हैं | कितना वैविध्य !!
एक बहोत बड़ा सुझाव में देना चाहुगा जो पुरे भारतके सभी राज्योंके ग्रामीण विस्तरोमे लागु किया जा सकता हैं | वह हैं - मनरेगा MGNREGA ( महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ) के तहत ग्राम्य प्रवासन के विविध स्थलों के विकास के लिए कामो को लेना | मानिये गाओ में कोई पुरातत्वीय ऐतिहासिक स्थल हे , कोई धरोहर , आध्यात्मिक स्थल हैं , पुराने हेरिटेज वाव - कुए हैं , क्रांतिकारी स्थल हो , वीर स्थल , प्राकृतिक प्रवासन स्थल आदि के विकास कामो को मनरेगाके तहत के कामोमें लेना चाहिए | जिसमे अविकसित पुराने धरोहर रूप स्थलों की साफ सफाई , पुनः विकास , इसे मनरेगा द्वारा ग्रामीणोंके द्वारा ही एक साथ किया जा सकता हैं | जिससे ग्रामीण श्रमिकोंको गाऊमें ही रोजगारी उपलभ्ध होगी | गाओ की धरोहर विकसित होगी , गाऊ का गौरव बढ़ेगा एव गांवके लोको का गाऊसे जुड़ाव और प्रेम बढ़ेगा , शहरीकरण कम होगा| मनरेगा और स्लगन विभागों द्वारा प्रवासन स्थलोंके विकास के होने के बाद प्रवासन बढ़ेगा , ग्रामीण रोजगारी बढ़ेगी |
हम जानते हे की विश्वके कई देसो में गाओकी पौराणिक स्ट्रीट्स , घरो , चौराहे , गाओ की चीजों का म्युसियम आदि को पुन:विकसित करना आदि कई तरीको की थीममें किया जाता हे किया जा रहा हैं |
मनरेगा और स्वच्छ भारत मिसन (ग्रामीण) SBMG जैसी सरकारी योजना ओ मे सुधार लाकर या जोगवाई दाखल कर बहुत बड़े तोर पर पुरे भारत के सभी राज्यों के गाँओमे प्रवासन विकास का काम ले शक्ति हैं . प्रवासन विभाग , ग्राम विकास विभाग , पर्यावरण विभाग , फारेस्ट विभाग और लगत अन्य विभागों का संकलन साध कर ग्रामीण विस्तार में प्रवासन का बहेतरीन विकास किया जा सकता हैं .
इससे एक साथ ज्यादा गाओ में प्रवासन और ग्रामीण विकास हो सकेगा . और कार्य के शुरू से ही ग्रामीण रोजगारी और बड़े पैमाने एक साथ विकास काम हो पाएंगे , जिसके बहेत्रिन विकास फल प्रवासीओ को गाओ की तरफ आकर्षित कर एक पूरी ग्रामीण प्रवासन इकोनॉमी डेवलप हो सकती हैं .
प्रवासनकी एक सोच भविष्यमें इनोवेटर्स और युवाओके लिए संसोधन का क्षेत्र भी प्रवासन के तहत आ सकता हैं | गाओ में हमे कई चीज़ोके संसोधनो के लिए पर्याप्त वस्तुए मिलती हैं जिसे खोज कर गौओं में संसोधनके प्रवासन स्थलभी विकसित कर सकते हैं ,जिससे स्कूल के बच्चोके प्रवाश अभ्यास का समन्वय , उच्चतर विद्यार्थीओके और संसोधको आदि प्रवासन और संसोधन दोनों का एक ही साथ लाभ ले सकते हे इसेभी विक्सित कर हम प्रवासन के नए आयामभी उपलभ्ध करा सकते हैं |
टूरिज़म के द्वारा मॉडल ग्रामीण प्रवास थीम :- प्रवास पैकेज तैयार करने चाहिए, इस पैकेजमें ग्रामीण प्रकृति सौंदर्य जिसमे पहाड़ , नदीआ, रण, सागर , ग्रामीण जीवन , ग्रामीण संस्कृति , ग्रामीण स्वाद पूर्ण खान-पान , ग्रामीण स्थापत्य सहित ग्रामीण वातावरण, और ग्रामीण प्रवासनके स्वरूप सब चीजे एकसाथ अनुभव कर सके इसे स्वरूप देना होगा.
v - ग्रामीण प्रवासन और तंदुरस्ती , सात्विक आहार , ग्रामीण प्रवासन के विवरण और फायदे इन सबको जोड़कर ग्रामीण प्रवाश व्यूह का थीम प्रचार- प्रसार कर सकते हैं |
संपर्क - जुड़ाव , माहिती और विकास :- राज्य सरकारों द्वारा ग्राम पंचायतो को पत्र लिखकर इस विषय में जाग्रति लाना और खास कर उसके गाउ की विसिस्टता , वैभव , पुरातत्वीय इतिहास , कोई खास चीजे जो प्रवासन से जुड़ सकती हैं , यात्राधाम स्थल , कुदरती स्थल , कोई विसिस्ट निसर्ग का पर्यावरणीय वैभव , खानपान की विसिस्टता की जानकारी प्राप्त कर डेटा बनाना और जरुरत हो वहां प्रवासन डेवलप कर शकते हैं |
सरकार हस्तक आये प्रवासन स्थलों पर फ़ूड और टी स्टॉल केन्टीन्स आदि पर इस्तमाल हो रही चीजों में , मानो की चाय का कप हैं तो वह माटी की कुलड़ी का कम्पलसरी उपयोग लागु करना चाहिए , जिससे ग्रामीण कारीगर कुंभार वर्ग को इसका सीधा लाभ उसके प्रॉडकशन को मिलेगा । ऐसा और भी चीजों के लिए हो सकता हे , जैसे मिटटी के बर्तन , चूल्हे आदि आदि जो केवल ग्रामीण कारीगर वर्ग ही बनाते हैं ।पारम्परिक ग्रामीण स्वीट और खाने के ग्रामीण स्वाद को महत्व दिया जाये आदि |
प्रवास स्थलों पर ग्रामीण थीम रेस्टोरा बनाया जाये जहां सभी चीजे ग्रामीण अनुभवों की हो , उसका इंटीरियर , बर्तन , चीज़े , खास ग्रामीण प्रदेश के अनुसार स्वादों का खाना आदि , जिसमे बहेतरीन ग्रामीण खाना पकाने वाले भाईओ-बहेनोको एक बहोत अच्छी आजीविका मिल सकेगी । प्रवासन स्थलों पर ग्रामीण रात्रि भोजन की और प्रवासिओ को आकर्षित कर सकते हैं |
जिससे ग्रामीण जीवन वहा जायेगा ग्रामीण लोग वह प्रवासन स्थल से आजीविका प्राप्त करेंगे वहा स्थाई होंगे |
v साहित्य से ग्रामीण प्रवास को बढ़ावा :-प्रवास साहित्य खूब ही महत्वकी भूमिका लोगो को प्रवास करने के लिए अंतर से प्रेरित करते रहते हैं | यह मेरा निजी अनुभव भी हैं | प्रवास नवलकथाये , पगदंडी प्रवाश परिक्रमा की अनुभव यात्रा , प्रवासन डायरी , पुस्तके आदि रोचक प्रवासन साहित्य लोको को इस अनुभव यात्रा ग्रामीण प्रवाश करने में प्रेरित करती हैं |
प्रवासन बुक्स जिसमे ग्रामीण विवरण , भर्मण परिक्रमा , नदी तट , सागर तट , पहाड़ो , और रणो की साहसिकता , ग्राम्य की संस्कृति , वहां का लोक जीवन , प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य का विवरण पढ़ देख कर प्रवासी लोग इस और बहोत आकर्षित होंगे | क्योकि प्रवासन करना घूमना फिरना भटकना मानव जाती के जीन्स में पहलेसे सम्मिलित रहा हैं और इस के लिए प्रवृत रहता हैं | ग्रामीण प्रवासन का रोचक साहित्य अनुभूति दृश्य विवरण ग्राम्य प्रवाश की और जरूर ही मुलाकात लेंगे| वह पे घूमेंगे दिन गुजारेंगे |
ऐसे साहित्यो की लोक मानस पे बहोत ही असर होती हैं, प्रेरित करती हैं | और लेखक के व्यावहारिक अनुभव विवरण पढ़ने वाले को अपने साथ इस प्रवास में जोड़ देते हैं | और इस साहित्य और लेखक के वास्तविक अनुभव प्रवासिओ को बहोत ही उपयोगी साबित होती हैं |
ऐसे प्रवाश साहित्यो को प्रोत्साहन , प्रसार , लोको में जाग्रति , जिज्ञासा और इस साहित्यो को किसी प्रकार टूरिज़म के माध्यम के साथ जोड़ना चाहिए | ग्रामीण प्रवासन साहित्य में पगदंडी यात्रा , प्रकृति प्रवास , परिक्रमा , पहाड़ ,सागर , नदी तट के प्रवाश , साहसिक प्रवाश , आध्यात्मिक यात्रा प्रवाश , लोक जीवन की परम्पराऐ , वहां के मेले त्यौहार , आदि का समावेश होता हैं |
ग्रामीण विस्तारो में घूमे हुए परिक्रमा किये हुए , विस्तारो की परम्पपरा को जाने हुए जिसके पास इसका बड़े पैमाने में अनुभव हे उसका लाभ टूरिज़म विभाग को लेना चाहिए |
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